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خبر مترجم من اللغة الهندية.
أعلن الهندوسي "شيام سينغ" اعتناقه الدين الإسلامي ناطقًا الشهادتين في مدينة "ميرث" التابعة للعاصمة الهندية "دلهي"، بعدما واجَه المشكلات في عدم المساواة بين القبائل، واختار لنفسه اسم "محمد آزاد".

قال "شيام سينغ": إن لدى الدين الهندوسي تقاليد فاسدة؛ من أهمها: عدم المساواة، وعدم احترام بشرية الإنسانية، من دون فرقٍ بين القبائل والمذاهب المختلفة، وظللتُ أُواجه مشكلة عدم المساواة وعدم الاحترام من قِبَل الهندوس إلى أن قرَّرت اعتناق الدين الإسلامي.

وأضاف قائلاً: إن الدين الإسلامي دين مساواة، ودين احترام، ودين عدالة، ويُعطيني القوة ويَمنحني الأمل، والصلاة تُهدئ روح الإنسان.



والجدير بالذكر أن حوالي مائة شخص من أقرباء "سينغ" هجَروه بعد اعتناقه الدين الإسلامي خوفًا من الجماعات الهندوسية، ويتجنَّبون التصريح باعتناقه الإسلام؛ المصدر: شبكة الألوكة.
يرجى الإشارة إلى المصدر عند نقل الخبر – شبكة الألوكة.

الخبر من مصدره الأصلي:


अपने साथ होते पक्षपात से परेशान दलित परिवारों ने अपना लिया इस्लाम

मेरठ. गांव के मंदिर में पारंपरिक तरीके से पूजा करने से रोके जाने से नाराज दलित ने इस्लाम अपना लिया। जिले के मोगा गांव के रहने वाले श्याम सिंह दलित वाल्मिकी समुदाय के सदस्य हैं और उन्होंने दो सप्ताह पहले ही इस्लाम अपना कर अपना नाम आजाद रख लिया। मजदूरी करने वाले श्याम उर्फ आजाद का कहना है कि पिछले दिनों उन्हें और उनके समुदाय के लोगों को पास के जिले बागपत में स्थित वाल्मिकी मंदिर में पारंपरिक पूजा नहीं करने दिया गया, जिसके बाद उन्होंने इस्लाम अपनाने का फैसला लिया। श्याम का कहना है कि वह अपने और अपने समुदाय को मिल रही धमकियों से भी तंग आ गया था।
मंदिर के पुजारी ने जताई थी आपत्ति
श्याम का कहना है कि मंदिर पर यादव समुदाय का नियंत्रण है और वाल्मिकी की पूजा होने पर वहां के पुजारी ने आपत्ति जताई थी। बार-बार जब इन्हें पूजा करने नहीं दिया गया तो उन्होंने इस्लाम अपना लिया। बता दें कि पिछले सप्ताह श्याम और उनके परिवार के खिलाफ पूजा करने की मांग करने और इस्लाम अपनाने की घोषणा करने पर मेरठ प्रशासन ने शांति भंग करने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मामला दर्ज किया है।
पूजा नहीं करने दिया गया तो हिंदू बने रहने का क्या फायदा
पिछले वर्ष नवंबर में श्याम और उसके समुदाय के अन्य सदस्यों को पुजारी ने कहा था कि उन्हें मंदिर में पूजा का अधिकार नहीं है। इसलिए श्याम का कहना है, ”जब मुझे पूजा करने की ही अनुमित नहीं है तो फिर हिंदू बने रहने का क्या मतलब है।” नवंबर के बाद ही श्याम ने बागपत, मेरठ के जिलाधिकारियों और नेशनल कमिशन फॉर शेड्यूल कॉस्ट्स एंड शेड्यूल ट्राइब्स के समक्ष अर्जी दी थी। उसने प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इस संबंध में लिखा था।
100 से ज्यादा लोग डरे हुए हैं
श्याम के इस्लाम धर्म अपनाने से उसके समुदाय वाल्मिकी के 100 से ज्यादा सदस्य डरे हुए हैं और इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। इस घटना के बाद उन्हें सरकारी अधिकारी परेशान न करें, इस लिहाज से वह राज्य के किसी अन्य हिस्से में पलायन के बारे में सोच रहे हैं। श्याम भी अब खुद नेपाल में जाकर बसने की सोच रहा है। इधर, श्याम और दलित समुदाय के अन्य सदस्यों द्वारा इस्लाम अपनाने की घोषणा करते ही हिंदू संगठन सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने उनसे इस्लाम न अपनाने को कहा है। श्याम का कहना है, ”सभी संगठन चाहते हैं कि हम इस्लाम न कबूल करें लेकिन कोई भी हमें हिंदुओं के बीच समान अधिकार देने बात नहीं करता। हम हमेशा से ही ऐतिहासिक और पारंपरिक रूप से ठगे जाते रहे हैं।”

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